Friday, September 13, 2024

फ़्लैश बैक - बर्फ़ के गोले

 बर्फ़ के गोले 


कटरा गोकुल शाह के 

नुक्कड़ पर 

था बर्फ़ के गोले वाले का ठेला 

नीले , पीले , लाल , गुलाबी  

रंग - बिरंगी शरबत की बोतलें 

सजी रहती थीं उसके ठेले पर 

और ठेले के बीचों बीच 

बर्फ़ को छीलने का रंदा 

बर्फ़ के गोलों का 

अपना अलग था मज़ा 

बर्फ़ के सफ़ेद गोले पर 

उँड़ेला जाता था रंगीन शरबत 

और उसे लेकर मैं चूसता हुआ 

लौट पड़ता था घर की ओर 

घर तक पहुँचते - पहुँचते 

बर्फ़ का शरबती गोला 

फिर बन जाता था सफ़ेद 

ज़िंदगी में क़िस्म - क़िस्म की 

सैकड़ों लाजवाब आइसक्रीम खाईं 

लेकिन उस बर्फ़ के गोले -सा स्वाद 

मिला नहीं कभी भी। 


कवि - इन्दुकांत आंगिरस 

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