Wednesday, September 18, 2024

कँचों का खेल

 

कँचों का खेल

 

बहुत खेला बचपन में

कँचों का खेल

और जीते बहुत सारे

रंग-बिरंगे कँचे

कँचों की निशानदेही

और कँचे से निशाना बनाने में

हो गयी थी महारत मुझे

कँचे से कँचे

फोड़ने का संगीत

आज भी गूजता है कानों में

कुछ पारदर्शी कँचों में उतरती हैं

मेरे बचपन की तस्वीरें

लौट जाता हूँ बचपन के गलियारे में

किसी फिल्म के

फ़्लैश बैक की मानिंद ।

No comments:

Post a Comment