कँचों का खेल
बहुत खेला बचपन में 
कँचों का खेल 
और जीते बहुत सारे 
रंग-बिरंगे कँचे 
कँचों की निशानदेही 
और कँचे से निशाना बनाने में 
हो गयी थी महारत मुझे 
कँचे से कँचे 
फोड़ने का संगीत 
आज भी गूँजता है कानों में 
कुछ पारदर्शी कँचों में उतरती हैं 
मेरे बचपन की तस्वीरें 
लौट जाता हूँ बचपन के गलियारे में 
किसी फिल्म के 
फ़्लैश बैक की मानिंद ।
 
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