Tuesday, September 17, 2024

गुरु सूरदास

 

गुरु सूरदास

 

एकाउंट्स पढ़ाते थे हमें

गुरु जी थे सूरदास

था सब कुछ

उन्हें ज़बानी याद

नहीं मालूम था कि

कविता के भी हैं शौक़ी

गुरु जी थे कुछ रंगीन,

एक दिन रुक गयी थी

ट्यूशन बीच ही में

गुरु जी का आदेश था

रहने का सबको मौन,

रेडियो पर

बालकवि बैरागी की

ओजस्वी आवाज़ में

गीत सुन कर

गुरु जी के हो गए थे

रोंगटे खड़े

बस उस दिन

हम और नहीं पढ़े।

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