Friday, September 27, 2024

लघु कथा - मुर्गियाँ और अंडे

 लघु कथा - मुर्गियाँ  और अंडे 



पोल्ट्री फार्म के मालिक ने महीने की प्रोडक्शन रिपोर्ट देख कर मैनेजर से पूछा - " ये क्या है भई , हर हफ़्ते दो दिन अंडो की प्रोडक्शन बहुत कम है ? "

- " जी सर , मंगलवार और शनिवार को अधिकांश    मुर्गियाँ अंडे नहीं दे रही हैं। " मैनेजर से धीरे से कहा। 

- " अंडे नहीं दे रही हैं ? क्यों  ?  " मालिक ने उत्सुकता से पूछा। 

- " सर , यहाँ  से कुछ दूरी पर एक मंदिर है और वहाँ से उठती हनुमान चालीसा की आवाज़ सुन कर अधिकांश   मुर्गियां मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करती रहती हैं और अंडे नहीं देती। " मैनेजर ने झिझकते हुए कहा। 

- " अच्छा ... " कह कर मालिक कुछ सोच में पड़ गए। 

- " लेकिन सर मेरे पास एक आईडिया है , अगर हम यही बगल में एक मस्जिद बनवा दें तो मस्जिद से उठती अज़ान सुन कर  वो  सभी मुर्गियाँ  मंगलवार और शनिवार को भी  अंडे देना शुरू कर देंगी । " मैनेजर ने तत्परता से मालिक को सुझाव दिया। 

 - " पगला गए हो , अण्डों के लिए मस्जिद बनेगी अब।  जैसा चल रहा है....वैसा ही  चलने दो।" मालिक ने मैनेजर को डाँट लगाई और प्रोडक्शन रिपोर्ट  बंद कर दी। 

मैनेजर खिसिया कर दफ़्तर से बाहर निकल गया। 



लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 

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सादर प्रणाम 🙏

आदरणीय जहाँ तक मेरी समझ काम करती है उसके हिसाब से इस लघु कथा से, चाहे वो हिन्दू हों या मुस्लिम समुदाय हो, दोनों वर्गों की ही धार्मिक भावनाएँ आहत हो रही हैं आप से विनती है कि आप मेरे सुझाव को अन्यथा नहीं लेंगे। क्योंकि यह लघुकथा हास्यस्पद लग रही है। और हास्य को धर्म से नहीं जोड़ सकते हैं। धर्म-कर्म तो दर्शन, भक्ति, श्रद्धा और शांति का विषय होता है।

आप से फिर से प्रार्थना है कि कृपया मुझे ग़लत नहीं समझिएगा।🙏 अगर कोई ग़लती हो गई है तो साथ ही क्षमा याचना भी कर रही हूँ।🙏  - 

- मधुबाला कौशिक 

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ये गलत हुआ। लघु कथा अच्छी है। सिफारिशी टट्टूओ की कमी नहीं है।

- प्रमोद झा 

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दुखद - उपमेन्द्र सक्सेना 

-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ये तानाशाही रवैया है डिलीट नहीं करनी चाहिए लोगों की प्रतिक्रियाएं देखनी थी - Arvind Asar 

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लघुकथा तो अच्छी है, और संदेश परक भी, बस मन्दिर मस्जिद आने के कारण ही उन्हें आपत्ति हुई होगी I

-Manju Gupta 

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सर यह लोगों की अपनी मर्जी और सोच है। आप इसकी परवाह न करें। 🙏

Arvind Kumar Mishr , Lucknow 

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समसामयिक संदर्भों से ओतप्रोत

बहुत ही अच्छी लघुकथा है यह औऱ इसके अच्छेपन को रेखांकित करने को लिये ही इसे इंदौर समाचार ने प्रकाशित किया जिसके लिये समाचार पत्र को बधाई दी जाना चाहिये ...

-रही बात op गुप्ता व्दारा लघुकथा 'मूर्गियाँ और अंडे''को डिलीट करने

सी बात तो मुझे लगता है कि यह एडमिन में साहस की कमी या कमजोर समझ के चलते

ऐसा हुआ होगा...

-समाज में अच्छा संदेश देने वाली इस कथा के लिये आपको भी हार्दिक बधाई 💐

- Paryas Joshi 

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आदरणीय सादर नमन 🙏

आजकल जैसे विचार इंसानों के मन में उठ रहे हैं, उन्हीं पर आधारित ये एक समसामयिक लघुकथा है। इसमें किसी धर्म का उपहास उड़ाने वाली कोई बात नहीं है और न ही कथा से किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए। कवि या लेखक कुछ कल्पना का सहारा लेकर ही अपना सृजन करता है और उसने इस लघुकथा में भी अपने कल्पनानुसार शाकाहार और माँसाहार के महत्त्व को अभिव्यक्त किया है 

- Anjali Goyal Anju 

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धर्म का भूत आजकल लाठी डंडे साथ लेकर चल रहा है। बेचारा एडमिन आदमी ही तो है । सादर 🙏

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