Saturday, June 15, 2024

लघुकथा - GST

 लघुकथा - GST 


" क्या हुआ दोस्त , इतना उदास क्यों बैठे हो ? " 


" अरे यार , ज़ुल्म की भी हद होती है।  क्रेडिट कार्ड से लोन लिया , ऋण पर ब्याज़ दे रहे हैं , लेकिन ब्याज़ पर सरकार द्वारा १८ परसेंट GST ? तुम्हीं बताओ , न कुछ ख़रीदा न बेचा लेकिन GST देना पड़ता है और वो भी ब्याज़ पर ?" दोस्त ने बिफ़रते हुए जवाब दिया। 


" ज़ुल्म तो है लेकिन मुझे इस बारे में कुछ नहीं मालूम , ये सरकार जाने या राम जाने " 


- कौन से राम भाई ? कौन सी सरकार की बात  कर रहे हों ?   


- अरे वो ही अयोध्या वाले राम , और वो ही राम मंदिर बनाने वाली सरकार , उन्हीं से पूछो कि ब्याज़ पर भी GST क्यों लगाया जा रहा है ?


-" ठीक है भाई उन्हीं से पूछता हूँ पर जवाब कब मिलेगा ये तो राम ही जाने। " - दोस्त ने अपनी बुझी हुई आँखों से आसमान की ओर  निहारते हुए कहा तो दूसरे दोस्त की आँखें भी गीली हो गयीं। 



लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 


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