Saturday, June 29, 2024

अजंता की मूरत

 अजंता की मूरत 


शिर से नख तक 

अजंता की मूरत हो तुम 

संगेमरमर- सा तुम्हारा शफ़्फ़ाक बदन 

अप्सरा की सूरत हो तुम 

कितनी फुर्सत में 

ख़ुदा ने तुम्हे गढ़ा होगा 

शायरों ने तुम्हे खूब पढ़ा होगा 

लहरों ने तुम से बल खाना सीखा होगा 

कलिओं ने तुम से मुस्काना सीखा होगा 

बादल  ने सीखा होगा बरसना 

चातक ने सीखा होगा तरसना 

तेरे नयनों से काजल बना होगा 

तेरी ज़ुल्फ़ों से बादल सजा होगा 

धरती तुझसे धीर बनी होगी 

बदरी तेरी  करधनी होगी 

आग तुझ से जल गयी होगी

रात तुझसे सज गयी होगी 

तारें  तुझ से झिमिलाये  होंगे 

चाँद भी तुझ से शर्माए होंगे 

चासनी तेरे लबों से बनी होगी

मिश्री तेरे ज़बाँ में घुली होगी

मोती तुझ से चमके होंगे 

चाँद सितारे झमके होंगे 

हर सफ़र    तेरे  क़दमों में है 

ज़िंदगी तेरे क़दमों में है 

क़यामत की क़यामत है तू 

अजंता की एक मूरत है तू  । 






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