प्रेम पुल
मैं कैसे मान लूँ कि
तुम्हारे और मेरे बीच
प्रेम का यह आख़िरी पुल भी
आज टूट गया
तुम्हारा प्रेम जल
अब भी
मेरी वीरान आँखों में बसता हैं
और
मेरा यह रक्त रंजित
हृदय पुष्प
तुम्हारे सीने में
निरतर रिसता हैं ।
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