Sunday, June 16, 2024

पिता

 बहुत सालों तक पिता को समझ नहीं पाया 

जब ख़ुद बाप बना तो समझ आया 

जलाता है जो अपने लहू से घर के चिराग़ 

जिसके सीने में हमशा दबी होती है एक आग 

जो पत्थरों  को फोड़ कर पानी निकालता है 

जो जल जल कर भी मुस्कुराता है 


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