पीली रौशनी
एक पीली उदास रौशनी
मेरी आत्मा में घर कर गयी
और प्रेम के तमाम फूल
मुरझा गए
बस एक आँसू
पलकों पर आकर ठहर गया
टूटा तारा दिल में उतरा और पथरा गया
पीड़ा कि ठहरी हुई नदी में
मैंने उतार दी
अपने प्रेम की किश्ती
और लिखता रहा देर तक
लहरों पर तुम्हारा नाम
मुझे यक़ीन है
एक दिन तुम ज़रूर आओगे
खिल उठेंगे
सब मुरझाए हुए फूल
और
मेरी आत्मा की
पीली उदास रौशनी
तब्दील हो जाएगी
सुनहरी प्रेम किरणों में
पीर नदी का ठहरा जल
तब्दील हो जायेगा
प्रेम जल में
और
हमारी आत्माओं का अमर प्रेम
सदियों तक
कभी न बिछड़ने के लिए
निकल पड़ेगा
अनंत प्रेम पथ पर ।
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