प्यार - 2
एक मस्त चिड़िया हैं
जो ज़मीन से दाना चुगकर
आकाश में उड़ जाती हैं
और अक्सर शाम ढले
अपने घर लौट आती हैं
प्यार इक बबूल हैं
जो हर रात आँख में खुबता है
लकिन फिर भी
सुबह की पहली किरण के साथ
शबनम बन महकता है
प्यार इक फूल हैं
जो मुरझा भी जाता हैं
लकिन फिर भी
गंध बनकर महकता हैं
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