Saturday, June 29, 2024

बहुत दिन हुए

बहुत दिन हुए 


बहुत दिन हुए 

कोई प्रेम कविता नहीं लिखी 

बहुत दिन हुए 

इस दिल की कली नहीं खिली 

बहुत दिन हुए 

वसंत गुनगुनाया नहीं 

बहुत दिन हुए 

प्रीतम खिलखिलाया नहीं 

बहुत दिन हुए 

चाँदनी में नहाये हुए 

बहुत दिन हुए 

चाँद को बुलाये हुए 

बहुत दिन हुए 

तुम याद नहीं आये 

बहुत दिन हुए 

बिछड़े तुम्हारे साये 

बहुत दिन हुए 

विसाले रात न आयी 

बहुत दिन हुए 

तारों की बरात न आयी 

क्या यही  प्रेम कविता है ?


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