उर्वशी हो तुम
हाँ , मेरे मन की उर्वशी हो तुम
पुरूरवा हूँ मैं , उर्वशी हो तुम
बादलों के संगीत पर नृत्य करती
मेरी उदास आँखों में गीत रचती
एक उद्दाम नदी हो तुम
दिल है कि उठता ही जाता है
प्रेम राग सीने में कसमसाता है
एक आसमानी परी हो तुम
फूल भी तुम्हे देख शरमा जाते हैं
दिल के ग़म और गरमा जाते हैं
प्रेम की अछूती कली हो तुम
एक समुन्दर की आग हो तुम
वसंत का अंतहीन राग हो तुम
मेरी साँसों की एक कड़ी हो तुम
हाँ , उर्वशी हो तुम
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