Sunday, June 23, 2024

आख़िर क्या होती है लघुकथा

 

                                         आख़िर क्या होती है लघुकथा

 

जो वक़्त की क़ीमत को बेहतर समझती है

जो अंधेरों में बिजली - सी चमकती है

पढ़ ले जिसे आप कुछ पलों  में

जादू  जिसका रहे सालों तक 

जो उतर जाये रूह में आपकी

बस रहे न चंद ख़यालों तक,

जो काली घटा - सी  आये बरसने को

और छोड़ जाये सबको तरसने को

तार तार तो होता है  दामन इसका

लिखती अपने लहू से जब कोई क़िस्सा

कभी आग कभी पानी , कभी लहरों की रवानी 

मुफ़लिस की जवानी होती है लघुकथा

कुछ कविता , कुछ कहानी होती है लघुकथा।

 

- इन्दुकांत आंगिरस

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