आख़िर क्या होती है
लघुकथा
जो वक़्त की क़ीमत को बेहतर
समझती है
जो अंधेरों में बिजली - सी चमकती है
पढ़ ले जिसे आप कुछ पलों में
जादू जिसका रहे सालों तक
जो उतर जाये रूह में आपकी
बस रहे न चंद ख़यालों तक,
जो काली घटा - सी आये बरसने को
और छोड़ जाये सबको तरसने को
तार तार तो होता है दामन इसका
लिखती अपने लहू से जब कोई
क़िस्सा
कभी आग कभी पानी , कभी लहरों की रवानी
मुफ़लिस की जवानी होती है लघुकथा
कुछ कविता , कुछ कहानी होती है लघुकथा।
- इन्दुकांत आंगिरस
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