प्रेम -प्रसंग
मुहब्बत की राह में
हम साथ साथ बढे थे
सुखद सपनों के महल
हम ने मिल कर गढ़े थे
वो किरण - किरण के साथ
परवान चढ़ता हमारा प्रेम
वो चाँदनी रातों में देर तक
हमारा बर्फ़ - सा सुलगना
अधर अधर हँसना
नज़र नज़र सुबकना
काश वो दिन लौट आये
आज तुम बहुत याद आये।
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