Saturday, June 29, 2024

गुमशुदा प्रेम

 गुमशुदा प्रेम 


दूर बहुत दूर 

तुम भर रही हो वसंत 

अपनी साँसों में 

और 

उकेर रही हो कैन्वस पर 

आधी अधूरी तस्वीरें 

उन आधी अधूरी 

तस्वीरों के सामने 

मैं रखता हूँ 

अपनी आत्मा का दर्पण 

और ढूँडता   हूँ 

उन आधी अधूरी 

तस्वीरों का अधूरापन 

शायद यह दर्पण ही 

उन आधी अधूरी 

तस्वीरों का पुल है 

जिस से गुज़र कर ही 

हमे मिलेगा 

हमारा गुमशुदा प्रेम। 


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