गुमशुदा प्रेम
दूर बहुत दूर
तुम भर रही हो वसंत
अपनी साँसों में
और
उकेर रही हो कैन्वस पर
आधी अधूरी तस्वीरें
उन आधी अधूरी
तस्वीरों के सामने
मैं रखता हूँ
अपनी आत्मा का दर्पण
और ढूँडता हूँ
उन आधी अधूरी
तस्वीरों का अधूरापन
शायद यह दर्पण ही
उन आधी अधूरी
तस्वीरों का पुल है
जिस से गुज़र कर ही
हमे मिलेगा
हमारा गुमशुदा प्रेम।
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