देह के अर्थ
तुम ज़िंदगी भर
तलाशते रहे
मेरी देह के अर्थ
कभी फूल
कभी रौशनी
कभी किरण
कभी चाँदनी
कभी लहरें
कभी समुन्दर
कभी तारे
तो कभी किनारे
बना कर ,
लेकिन प्रिय
मेरी देह तो सिर्फ
एक राख़ है
ओर इस राख़ को
तुम अपनी आत्मा पर
मल नहीं सकते।
कवि -इन्दुकांत आंगिरस
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