Saturday, June 29, 2024

दिल्ली की बग़ीचे

 दिल्ली की बग़ीचे 


दिल्ली की बग़ीचे 

पर्यावरण बचाएँ न बचाएँ 

पर प्रेम का वातावरण ज़रूर बनाते हैं 


अनगिनत प्रेमी - युगलों की 

सच्ची - झूठी क़समों के 

गवाह होते  

इन बग़ीचों के पेड़ , 

पेड़ जिनके तनों से  

बेलों की तरह लिपटे रहते हैं 

प्रेमी - युगल 


इन प्रेमी - युगलों के 

कोमल स्पर्श से 

पेड़ों के तने 

बन जाते हैं मुलायम 

और मखमली 

जिन पर बड़ी आसानी से 

खोद देते हैं प्रेमी - युगल 

अपने अपने नाम 

और प्रेम भरी तूलिकाओं से 

रच देते हैं धीरे धीरे 

मासूम मुहब्बत भरे दिल , 

दिल , 

जिनमे बड़े बड़े 

सुखद अनछुए सपने छिपे होते हैं 


अक्सर प्रेमी - युगल 

इन पेड़ों  की जड़ों पर बैठ कर 

अपनी अपनी मुहब्बत की जड़ों को 

मीठे चुम्बनों की खाद से 

बनाते हैं अधिक मजबूत 

खिलाते हैं दाना 

चुम्बन वाली चिड़िया को ,

कुछ शर्मीले पेड़ 

शरमा कर दूसरी ओर देखने लगते हैं 

कुछ घूर कर देखते रहते हैं 

अधरों से अधरों का मिलन

सिहर उठते हैं कुछ पेड़ 

पा कर प्रेम की प्रथम छुअन 

कुछ पेड़ देर तक 

लड़खड़ाते रहते हैं 

यौवन की मदिरा पी कर 

कुछ पेड़ धीरे धीरे झुकते हैं 

धरती पर ,

धरती उन को 

अपनी फैली हुई बाँहों में 

क़ैद कर लेती है

धरती के टुकड़े समेट लेते हैं

अपने अपने हिस्से के पेड़ ,

पेड़ों की आत्माओं से उठता

संगीत 

धीरे धीरे फ़ैल जाता है  

जंगल में 

ओर छोड़ जाता है 

आने वाली नस्लों के नाम 

मुहब्बत का पैग़ाम 


बहुत ज़रूरी है 

इन पेड़ों को बचाए रखना 

मुहब्बत की 

एक पूरी दुनिया को 

बनाए रखना  


आओ , हम सब मिल कर 

इन पेड़ों को सींचे 

कभी न वीरान हो 

दिल्ली के बग़ीचे। 

 

 




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