प्रेम बूँद
तुम परोसते हो मुझे
प्रेम सागर
लेकिन मुझे प्रेम बूँद की तलाश है
मेरी आत्मा में मुरझाए हुए पलाश है
प्रेम बूँद , हाँ मुझे प्रेम बूँद चाहिए
हाँ वो प्रेम बूँद
जो मरुस्थल की प्यास बुझा दे
जो सागर से मिल ख़ुद को मिटा दे
जिसकी आत्मा से निकले प्रेम के अंतहीन तराने
जिसके भीतर ज़िंदगी लगे गुनगुनाने
जो हर लहर को लहर कर दे
जो मृत्यु में भी जीवन भर दे
जो पहाड़ों से निकल कर बहे
जो क्षितिज के उस पार रहे
जो सागर से भी गहरी और बड़ी हो
जो ज़िंदगी और मौत की कड़ी हो
हाँ , मुझे वो प्रेम बूँद चाहिए
बस एक प्रेम बूँद चाहिए ।
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