Saturday, June 29, 2024

प्रेम बूँद

 प्रेम बूँद

 

तुम परोसते हो मुझे 

प्रेम सागर 

लेकिन मुझे प्रेम बूँद की तलाश है 

मेरी आत्मा में मुरझाए हुए पलाश है 


प्रेम बूँद , हाँ मुझे प्रेम बूँद चाहिए 

हाँ वो प्रेम बूँद

जो मरुस्थल की प्यास बुझा दे 

जो सागर से मिल ख़ुद को मिटा दे 

जिसकी आत्मा से निकले प्रेम के अंतहीन तराने 

जिसके भीतर ज़िंदगी लगे गुनगुनाने 


जो हर लहर को लहर कर दे 

जो मृत्यु में भी जीवन भर दे 

जो पहाड़ों से निकल कर बहे 

जो  क्षितिज के उस पार रहे 

जो सागर से भी गहरी और बड़ी हो 

जो ज़िंदगी और मौत की कड़ी हो 

हाँ , मुझे वो प्रेम बूँद चाहिए 

बस एक प्रेम बूँद चाहिए ।


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