परी हो तुम
तुम , हाँ तुम
परी हो तुम
सात समंदर पार से आयी परी हो तुम
छुपा लिया था तुमने मुझे अपनी पलकों में
बिखर गया था हर सफ़र तुम्हारी अलकों में
तुम्ही ने पोंछ दिए थे मेरे आँसू
पढ़ाये थे मुझे ठीक से प्रेम के आधे अधूरे सबक
रुक गया था समय
ठहर गयी थी बहती नदी
मौन हो गया था आकाश
जब तुमने छुआ था मुझे
हाँ , तुम्हारी ही बाँहों में
ख़त्म हो गयी थी मेरी तलाश ।
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