प्रेम की अंतहीन नदी
तुम एक आवारा बादल की तरह
मेरी आत्मा में पसर जाते हो
और
मेरी आत्मा का आकाश
भर लेता हैं तुम्हे
अपनी फैली हुई बाँहों में
कभी न बिछड़ने के लिए
तुम वासंती हवा की मानिंद
मेरी साँसों में उतर जाते हो
और मेरी साँसों का पिंजरा
क़ैद कर लेता हूँ तुम्हे
सदा सदा के लिए,
तुम एक उत्ताल नदी की मानिंद
मेरी रगों में
प्रेम जल बनकर
पसर जाते हो
और तब
हम मिलकर गाते हैं
प्रेम का अंतहीन गीत ।
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