ज़ख़्मी दिल
तुम्हारा दिल ज़ख़्मी है
ख़ून मेँ रिसता तुम्हारा ये दिल
मुझे उदास बना देता है
और मेरा प्रेम रिसने लगता है
अब मेरा दिल भी
ज़ख़्मी है तुम्हारे दिल की मानिंद
मुझे और अधिक
उदास हो जाना चाहिए था
लेकिन मैं ख़ुश था
कि प्रेम मेँ डूबी
उन जलती आँखों को
अब मैं भी अपनी
भीगी आँखों से देख पाउँगा
मैं ख़ुश था कि
उस रिसते ज़ख़्मी दिल को
अब अपने ख़ून से धो पाउँगा
मैं ख़ुश था
कि अब दर्द के
इस अंतहीन तराने का
दर्दीला नग़मा
तुम्हारे साथ मिलकर गा पाउँगा ।
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