नटनी
मैं दूर बहुत दूर
तुम्हारी सोचों से भी दूर
एक सन्नाटे में रच रहा हूँ
एक और सन्नाटा
तुम एक नटनी की तरह
नृत्य कर रही हो
ज़िंदगी की रस्सी पर
ज़िंदगी का संगीत गूँजता है
तुम्हारी आत्मा में,
तुम्हारी साँसे
एक उद्दाम
नदी की लहरों की मानिंद
उठती गिरती है मेरी आत्मा में,
मेरी आत्मा से उठता शोर भी
तुम्हे व्याकुल नहीं करता
और मुझे अफ़सोस है कि
मेरी आत्मा का यह शोर
उस उद्दाम नदी के
शोर से भी नहीं दबता।
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