Saturday, June 29, 2024

नटनी

 नटनी  


मैं दूर बहुत दूर 

तुम्हारी सोचों से भी दूर 

एक सन्नाटे में रच रहा हूँ 

एक और सन्नाटा 

तुम एक नटनी की  तरह 

नृत्य कर रही हो

ज़िंदगी की  रस्सी पर 

ज़िंदगी का संगीत गूँजता है 

तुम्हारी आत्मा में, 

तुम्हारी साँसे 

एक उद्दाम 

नदी की लहरों की मानिंद 

उठती गिरती है मेरी आत्मा में, 

मेरी आत्मा से उठता शोर भी 

तुम्हे व्याकुल नहीं करता 

और मुझे अफ़सोस है कि

मेरी आत्मा का यह शोर 

उस उद्दाम नदी के 

शोर से भी नहीं दबता। 



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