प्रेम -प्रसंग
रेखांकित हैं मेरे पास
उन चुंबनों के घाव
जो पूर्णिमा की
शरद चाँदनी में
तुम ने
मेरी नंगी पीठ
ललाट , कपोलों व अधरों पर
दूर अमलतास के नीचे
बिखेर दिए थे।
No comments:
Post a Comment