Saturday, June 29, 2024

लावारिस नाम

 लावारिस नाम

 

मुझे  आज  भी याद है वह शाम 

जब तुमने क़तरा क़तरा  

पिया था मेरी आँखों का नशा 

तुमने बार बार 

पुकारा था मेरा नाम ,

आज वही नाम 

मुझे याद नहीं आता

ज़िंदगी का कोई भी सुर 

अब प्रीत की धुन पर 

नहीं गाता  

शाम के साथ साथ 

रीत गया वो नाम 

मैं हैरान हूँ कि किस तरह 

बरसों पुराना नाम 

बन गया एक पल में गुमनाम 

अब उसकी 

कोई पहचान नहीं होती 

कोई शबनम 

उस पर नहीं रोती 

एक पल में 

लावारिस बन जाता है 

कोई बरसों पुराना नाम। 


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