प्रेम की रौशनी
तुम भोर की पहली किरण की तरह
मेरी वीरान आँखों में पसर जाती हो
और तमाम सपने जाग उठते हैं
तुम्हारी खुली आँखों के साथ
तुम मेरी ऊँगली पकड़
ले जाती हो मुझे
रौशनी की घाटी में
और
में अपनी वीरान आँखों में
देर तक भरता रहता हूँ रौशनी
हाँ , तुम्हारे प्रेम की रौशनी ।
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