Monday, July 1, 2024

बहुत दिन हुए

 बहुत दिन हुए   


बहुत दिन हुए 

कोई प्रेम कविता नहीं लिखी

बहुत दिन हुए 

इस  दिल की कली नहीं  खिली 

बहुत दिन हुए 

वसंत गुनगुनाया नहीं 

बहुत दिन हुए 

प्रीतम खिलखिलाया नहीं 

बहुत दिन हुए 

चाँदनी में नहाये हुए 

बहुत दिन हुए 

चाँद  को बुलाये हुए 

बहुत दिन हुए 

तुम याद नहीं आये 

बहुत दिन हुए 

बिछड़े तुम्हारे साये 

बहुत दिन हुए 

मिलन की रात न आयी 

बहुत दिन हुए 

तारों की बरात न आयी 

क्या यही प्रेम कविता है ? 


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