Monday, July 8, 2024

E book Forward - Prem Prasang

 

मुझे  अपनी प्रेम कविताओं का ताज़ा संग्रह  " प्रेम-प्रसंग " आपको सौंपते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है।  यह सारी दुनिया   प्रेम पर ही टिकी हुई है।  अगर दुनिया में प्रेम न होता तो हम और आप न होते  । मैंने ये प्रेम कवितायेँ न लिखी होती और आप इन  प्रेम कविताओं  को पढ़ नहीं रहे होते। प्रेम कोई शब्द नहीं , ब्रह्म है प्रेम। प्रेम एक अनछुआ अहसास  है  जिसे हम सिर्फ़ महसूस कर सकते हैं। प्रेम एक ऐसा रहस्य है जिससे कभी परदा उठा ही नहीं , प्रेम एक ऐसा आकाश है जिस का कोई अंत ही नहीं , प्रेम ऐसा पानी है जिसे आज तक कोई रस्सी से बाँध नहीं पाया।

ख़ुदा -ए - सुख़न ,  मीर तक़ी मीर  ने अपनी आत्मकथा ज़िक्रे - मीर प्रेम के बारे में कुछ यूँ कहा है - " प्रेम कर क्योंकि ये संसार प्रेम ही के आधार पर टिका है। यदि प्रेम न होता तो ये संसार न होता। बिना प्रेम के जीवन नीरस जान पड़ता है। हृदय को प्रेम का मतवाला बना देना ही उचित है। प्रेम बनाता भी है और जलाता भी है। इस संसार में जो कुछ है वो प्रेम का ज़हूर है।  आग प्रेम की जलन है। जल प्रेम की गति है। मिटटी प्रेम का ठहराव है और वायु प्रेम की बेकली है।   मौत प्रेम की मस्ती है और जीवन होश रात प्रेम की नींद है और दिन प्रेम का नींद से जागना। भलाई  प्रेम के क़रीब होना है और पाप प्रेम से दूर होना है। स्वर्ग प्रेम की चाह है और नरक उसका रस।  "

इन प्रेम कविताओं  को पढ़ते हुए अगर आपको भी अपने जीवन का कोई प्रेम - प्रसंग  याद आ जाये तो इस किताब को यानी ' प्रेम -प्रसंग ' को अपने मित्रों से साझा करना न भूलें।

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