Sunday, July 21, 2024

फ़्लैश बैक - पतंग के कन्ने

 पतंग के कन्ने 


मैं रोज़ जाता था स्कूल 

और 

वह नहीं जाता था स्कूल 

बस रहता था 

सरे दिन घर में

लेकिन था उस्ताद 

पतंग के कन्ने बाँधने में 

और 

काग़ज़ पर

तस्वीर बनाने में 

मुझे बहुत भाती थी 

उसकी तस्वीरें ,

लेकिन पतंग के 

कन्ने बंधवाने के लिए तो 

मुझे करनी पड़ती थी 

उसकी चिरौरी

और बिना कन्ने बाँधे  

संभव नहीं था पतंग उड़ाना 

क्योंकि कन्नों का 

सही अनुपात में  बंधा  होना 

होता है बहुत ज़रूरी 

किसी भी पतंग की

सही उड़ान के लिए। 


कवि - इन्दुकांत आंगिरस  





No comments:

Post a Comment