Monday, July 8, 2024

कितने बरस गुज़र गए

 कितने बरस गुज़र गए 


कितने बरस गुज़र गए 

आज भी तुम्हारी याद फूलों की ख़ुश्बू की तरह ताज़ा है 

तेरी मुस्कुराहट आज भी सूरज की किरणों  सी ताज़ा है  

आज भी   वो  ग़म मेरी   भीगी   पलकों   पे  नुमाया है  

आज भी तेरे क़दमों से खुलता ख़ुशियों का दरवाज़ा है 


कितने बरस गुज़र गए

वसंत की सरगम आज भी   तेरी  साँसों में गुनगुनाती है 

दूर कही जंगलों से पतझड़ी क़दमों की आवाज़ आती है 

आज भी  सारा जंगल गाता है , गीत  हमारे   मिलन के  

वसंत की  साँसों में  आज भी तेरी भीगी महक आती है 


कितने बरस गुज़र गए

आज भी  तुम्हारा तसव्वुर  मुझ  को  दीवाना बना देता है 

इश्क़ अपनी भूली बिसरी यादों का अफ़साना बना देता है 

ज़िंदगी फिर गाने  लगती  है  वही  भूले  बिसरे  से  गीत 

दिल मेरा निशाना है , संग दिल को ज़माना बना देता है 

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