कितने बरस गुज़र गए
कितने बरस गुज़र गए
आज भी तुम्हारी याद फूलों की ख़ुश्बू की तरह ताज़ा है
तेरी मुस्कुराहट आज भी सूरज की किरणों सी ताज़ा है
आज भी वो ग़म मेरी भीगी पलकों पे नुमाया है
आज भी तेरे क़दमों से खुलता ख़ुशियों का दरवाज़ा है
कितने बरस गुज़र गए
वसंत की सरगम आज भी तेरी साँसों में गुनगुनाती है
दूर कही जंगलों से पतझड़ी क़दमों की आवाज़ आती है
आज भी सारा जंगल गाता है , गीत हमारे मिलन के
वसंत की साँसों में आज भी तेरी भीगी महक आती है
कितने बरस गुज़र गए
आज भी तुम्हारा तसव्वुर मुझ को दीवाना बना देता है
इश्क़ अपनी भूली बिसरी यादों का अफ़साना बना देता है
ज़िंदगी फिर गाने लगती है वही भूले बिसरे से गीत
दिल मेरा निशाना है , संग दिल को ज़माना बना देता है
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