हंगेरियन लोक कथाएँ
हंगेरियन लोक कथाओं का यह अनुवाद मैंने मूल हंगेरियन भाषा से किया है । इस पुस्तक का विमोचन 2006 में ही हंगेरियन सांस्कृतिक केंद्र ,दिल्ली में संपन्न हुआ था । इसकी भूमिका मेरी अध्यापिका डॉ Köves Margit ने लिखी है जो अभी भी दिल्ली विश्विद्यालय में हंगेरियन भाषा पढ़ाती हैं। मुखपृष्ठ का चित्र मेरी हंगेरियन कलाकार मित्र Hummel Rozália द्वारा बनाया गया है जिनसे मेरी पहली मुलाक़ात बुदापैश्त में और बाद में कई बार भारत में भी हुई। पुस्तक में कुल 10 लोक कथाओं का अनुवाद शामिल है। बानगी के तौर पर प्रस्तुत है इसी पुस्तक से एक लोककथा का हिंदी अनुवाद -
Egyszer volt Budán kutyavásár
बुदा में कुत्तों का बाज़ार सिर्फ एक बार
आदत के अनुसार एक बार मात्याश राजा ने एक गावँ की छोटी -सी सराय में रात गुज़ारी। अगली सुबह मैदान में घूमते हुए राजा ने दो किसानों को देखा। उन किसानों में से एक किसान बहुत कमजोर था और एक बूढ़े घोड़े से अपनी ज़मीन जोत रहा था। जब राजा ने देखा कि ग़रीब किसान को अपना काम करने में अत्यंत कठिनाई हो रही है तो राजा ने अमीर किसान की तरफ मुड़ कर उससे कहा कि उसे ग़रीब किसान की मदद करनी चाहिए।
" मुझे इससे कोई लेना-देना नहीं ,सब अपना अपना काम देखते हैं "-अमीर किसान ने रुखा -सा जवाब दिया।
मात्याश राजा को यह जवाब पसंद नहीं आया। उन्होंने ग़रीब किसान से कहा -" देख रहा हूँ कि तुम बहुत कठिनाई में हो। तुम्हे एक नेक सलाह देता हूँ - अगले इतवार बुदा में कुत्तों का बाज़ार लगेगा। तुम जितने भी गलियों के कुत्ते इकट्ठे कर सको कर लो , चाहे कैसे भी हो,उन सबको इकठ्ठा कर बुदा ले आना।"
ग़रीब किसान को कुछ हैरानी हुई , लेकिन उसने राजा की सलाह मान ली। जब वह आवारा कुत्तों को इकठ्ठा कर बुदा के बाज़ार में पहुंचा तब राजा भी अपने मंत्रिओं के साथ बाज़ार में आया और उसने ग़रीब किसान से महंगे दामों में कई कुत्ते ख़रीदे। राजा ने अपने मंत्रिओं को भी कुत्ते ख़रीदने के लिए कहा। किसी में इतना साहस नहीं था कि राजा की बात को टालते। सभी मंत्रिओं ने कुत्ते ख़रीदे और पैसे दिए।
ग़रीब किसान बहुत से पैसों के साथ गावँ लौटा और उसने सबको अपनी कहानी सुनायी कि वह कैसे अमीर बन गया था। अमीर पड़ोसी ईर्ष्या से जल-भुन गया। उसने अपने बैल , घोड़े ,घर आदि सब कुछ बेच कर ख़ूबसूरत नस्ली कुत्ते ख़रीदे और उन कुत्तों को लेकर बुदा गया।
उस समय बाज़ार में किसी का भी मूड कुत्ते ख़रीदने का नहीं था । अमीर किसान राजा के महल की तरफ़ गया और पहरेदार से बोला - "राजा को बताओ कि मैं शानदार नस्ली कुत्ते बेचने के लिए लाया हूँ "। जवाब आने में देर नहीं लगी। महल के पहरेदार ने उससे कहा - " मात्याश राजा तुम्हारा ही इन्तिज़ार कर रहे थे ओर उन्होंने तुम्हारे नाम सन्देश भेजा है कि बुदा में कुत्ता का बाज़ार सिर्फ एक बार लगा था "।
तुम जहाँ से आये हो वही लौट जाओ।
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अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस
पुस्तक का नाम - हंगेरियन लोक कथाएँ
लेखक - Anonymous
अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस
प्रकाशक - मंजुली प्रकाशन , नयी दिल्ली
प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2006
कॉपीराइट - अनुवादक
पृष्ठ - 32
मूल्य - ( 30/ INR ( तीस रुपए केवल )
Binding - Paperback
आवरण एवं चित्रांकन - Rozila Hummel
Size - डिमाई 5.3 " x 8.1 "
ISBN - 81-88170-28-3
प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
सार्थक लोक-कथाओं का सहज और उत्तम अनुवाद।
ReplyDeleteधन्यवाद भूपेंद्र भाई
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