Thursday, November 10, 2022

ग़ज़ल - इक किरन चलती है जैसे रौशनी के साथ साथ

 

इक किरन चलती है जैसे रौशनी के साथ साथ 

आप भी चल कर तो देखो ज़िंदगी के साथ साथ 


ठीक ही कहते थे सारे लोग मुझको नासमझ 

दोस्ती मैंने   निभाई दुश्मनी   के साथ साथ 


इश्क़ तो करने चले  हो ये भी  सुन लो ये मियां 

दर्द भी दिल को मिलेगा दिल लगी के साथ साथ 


क्या ख़बर क्या हादसा गुज़रा फ़लक पर दोस्तों 

रात भर जागे   सितारे   चाँदनी    के साथ साथ 


दिल हमारा है अजब   शय टूटने   के बावजूद 

रात दिन महवे सफ़र है बेदिली के साथ साथ 


यूँ तो दुश्मन आदमी है आदमी का ऐ ' बशर '

आदमी रहता है फिर भी आदमी के साथ साथ 



शाइर - बशर देहलवी 


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