Saturday, November 19, 2022

ग़ज़ल - हम फ़क़ीरी में दिल लुटाने को

फाइलातुन मुफाइलुन फैलुन

2122   1212   22



 हम फ़क़ीरी में दिल लुटाने को 

ग़म की दौलत चले कमाने को 


करता है   इश्क़   वो सताने को 

हम भी दिल रखते हैं लुभाने  को 


संगबारी है    और हम   तन्हा 

क्या ख़बर  हो गयी ज़माने को 


झील ने आँख मूँद ली है अभी 

चाँद निकलेगा क्या नहाने को 


बुझते शोलों को तुम हवा ना  दो 

राख काफी है दिल जलाने को 


बेसबब दिल में आ के वो बैठा 

उम्र गुज़री    जिसे भुलाने को 



 रंग पर आ गयी  रसिक महफ़िल 

हम जो  आये   ग़ज़ल सुनाने  को 


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फूल सूखे हुए ही चंद आँसू  

बस यही रह गए बिछाने को 



शाइर - बशर देहलवी  


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