फाइलातुन मुफाइलुन फैलुन
2122 1212 22
हम फ़क़ीरी में दिल लुटाने को
ग़म की दौलत चले कमाने को
करता है इश्क़ वो सताने को
हम भी दिल रखते हैं लुभाने को
संगबारी है और हम तन्हा
क्या ख़बर हो गयी ज़माने को
झील ने आँख मूँद ली है अभी
चाँद निकलेगा क्या नहाने को
बुझते शोलों को तुम हवा ना दो
राख काफी है दिल जलाने को
बेसबब दिल में आ के वो बैठा
उम्र गुज़री जिसे भुलाने को
रंग पर आ गयी रसिक महफ़िल
हम जो आये ग़ज़ल सुनाने को
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फूल सूखे हुए ही चंद आँसू
बस यही रह गए बिछाने को
शाइर - बशर देहलवी
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