Wednesday, November 16, 2022

प्रेम - प्रसंग/ 2 - - बुदापैश्त के नाम

 


पुराने  काग़ज़ों में बुदापैश्त के नाम लिखा  वो गीत मिल गया जो मैंने अपने बुदापैश्त  प्रवास ( सं २००० )  के दौरान  लिखा था।  यूँ तो यह एक साधारण सा  गीत है लेकिन मेरी यादों से जुड़ा है , इसीलिए मित्रों के साथ साझा कर रहा हूँ।


 बुदापैश्त के नाम 


सुनो ,नगरी है ये प्यार की यारो 

कर लो तुम रसपान सुधा का 

क़दम क़दम यहाँ प्यार की गगरी 

छलके रस   बरसाए सुरा का । 


दूना यहाँ छल छल कर बहती 

ये आप कहानी अपनी कहती 

पैश्त के धोये ज़ख़्म भी इस ने 

बुदा के आँसू भी पौंछे  इस ने । 


खिलते फूल यहाँ  हर आँगन 

छलके नयन नयन में सावन 

चित चोर यहाँ चातक ठहरा 

हर चकवी मजनू  की लैला । 


झांकों झांकों  इन नयनो में तुम 

मस्ती में इनकी हो   जाओ गुम 

मदहोश तुम्हें जब  कर देंगी 

ख़ुश्बू साँसों में   भर देंगी ।


प्रीत यहाँ बहती हर उर में 

साज़ यहाँ सजता हर सुर में 

जितने फूल हँसे हैं खिल के 

हैं उतने ही आँसू भी छलके । 



कवि - इन्दुकांत आंगिरस 

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