गुम चिराग़ों से कभी जब रौशनी हो जाएगी
हर तरफ़ बस तीरगी ही तीरगी हो जाएगी
दाग़ सीनों के जला कर आएगी शब देखना
फिर अंधेरों में कही पर रौशनी हो जाएगी
कौन डालेगा गले में इसके बाँहें दोस्तों
जब गुनाहों की नज़र ये ज़िंदगी हो जाएगी
इस कदर भी आँच तुम देना न अपने शौक़ को
दर्द ए सर वरना तुम्हारी दिल लगी हो जाएगी
मंज़िलें खिंच कर चली आएँगी फिर तो ऐ ' बशर '
जब थकानों से सफ़र की दोस्ती हो जाएगी
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