अपनी आँखों में बसा कर देखो
ग़म को पलकों पर सजा कर देखो
इतना मुश्किल भी नहीं है यारों
दिल किसी बुत से लगा कर देखो
हो ही जायेगा उजाला हर सू
प्यार की शम्ह जला कर देखो
यूँ ही पत्थर न उठा कर फैंको
शीश ए दिल पे गिरा कर देखो
ऐ ' रसिक ' चैन से बैठो घर में
बेवफ़ाओं को भुला कर देखो
शाइर - रसिक देहलवी
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