Wednesday, November 2, 2022

ग़ज़ल - काँटों का पहरा होता है


 काँटों का पहरा होता है

फूल जहाँ सोया होता है 


जीवन के टेढ़े रास्तों पे 

थम थम कर चलना होता है 


दुश्मन तो होता है दुश्मन 

अपनों से बचना होता है 


हर आंसू  के पीछे देखो 

ग़म का इक दरिया होता है 


मिल जाता है उससे आख़िर 

जिससे दिल मिलना होता है 


यूँ तो तुम भी ग़ैर नहीं हो 

' अपना फिर अपना होता है '


रहबर से रहज़न है बेहतर 

वो धुन का पक्का होता है 


टूट गया तो रोना कैसा 

सपना कब अपना होता है 


बात निकलती है जो दिल से 

उसका असर बड़ा होता है 



शाइर - बशर देहलवी   

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