Wednesday, August 5, 2020

घंटियों की इबारत - Harangfölirat ( हंगेरियन कविता का हिन्दी अनुवाद )



Harangfölirat


घंटियों की इबारत


हाँ , इसीलिए बजती हैं घंटियाँ
कि ज़िंदा लोगों को बुला सके 
मृत  लोगो   को दफ़ना  सके 
और ओलों की बाढ़ व 
आग के संकट के समय 
विजयी वंशजों को  देखते हुए 
मैं  बजाता हूँ लगातार 
' जागते रहो ' की  घंटियाँ। 



कवि -  Kányádi Sándor

अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस 

5 comments:

  1. बहुत सही सर
    आज घंटियों की महत्ता के विषय में जानकारी मिली।
    धन्यवाद सर

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  2. आज के परिवेश में,आपकी इन घंटे घड़ियालों की बहुत आवश्यकता है,क्योंकि आज आदमी जागते हुए भी सो रहा है।शायद आपकी इस कविता के माध्यम से जागे।

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  3. ������....'सूरी'

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