Monday, August 24, 2020

सारस और लोमड़ी - το λελέκι και η αλεπού ( ग्रीक लोक कथा का हिन्दी अनुवाद )

 το λελέκι και η αλεπού -   सारस और लोमड़ी



प्राचीन समय की बात है एक सुन्दर गावँ में  एक सारस अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। गावँ के बाहर लाल बालों  और टेढ़ी  पूँछ वाली एक चालाक लोमड़ी रहती थी। एक दिन जंगल में सारस और लोमड़ी की मुलाक़ात हो गयी। 

"नमस्ते सारस जी , आज आप यहाँ कैसे ? " - लोमड़ी ने पूछा। 

"मैं यहाँ जंगल में अपने बच्चों के लिए खाना लेने आया हूँ "- सारस ने जवाब दिया। 

"जब आप  यहाँ आ ही गए  हैं  तो मे्रे घर कुछ खा  कर जाइये "- लोमड़ी ने कहा। 

सारस को उसके निमंत्रण पर हैरानी हुई लेकिन अंततः वह मान गया। वह लोमड़ी के घर गया और लोमड़ी ने उसे एक प्लेट में गरम सूप परोस दिया।  तब सारस को एहसास हुआ कि लोमड़ी उसका मज़ाक बना रही है क्योंकि अपनी लम्बी चोंच से प्लेट में पड़े उस सूप को पीना लगभग असंभव था।  सारस ने सूप पीने का नाटक किया और लोमड़ी जब सारा सूप चट कर गयी तो सारस ने उससे कहा -

"सूप बहुत लज़ीज़ था , मैं चाहता हूँ कल दोपहर का लंच तुम मे्रे साथ मे्रे घर पर करों "। 

लोमड़ी ने उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया और सारस अपने घर को लौट गया।  वह सारे रास्ते सोचता रहा कि   लोमड़ी ने उसका मज़ाक उड़ाया है और  इसके लिए उसे सबक सीखाना चाहिए। 

अगले दिन सारस ने अपनी पत्नी को बताया कि  किस तरह लोमड़ी ने उसका मज़ाक उड़ाया था।  उसने अपनी पत्नी से स्वादिष्ट भोजन पकाने के लिए कहा और उस भोजन को कम मुहँ वाले गिलासों  में परोसने के लिए कहा। निर्धारित समय पर लोमड़ी लटकती-मटकती अपनी टेढ़ी पूँछ को घुमाती सारस के घर पहुँच गयी। उसने दरवाज़े पर दस्तक दी और पूरे सारस  परिवार ने उसका स्वागत किया। 

"कितनी बढ़िया ख़ुश्बू आ रही है , मे्रे मुहँ में  पानी आ रहा है"-लोमड़ी चहकी  ।  

डाइनिंग टेबल पर सब लोग बैठ गए तो सारस की पत्नी ने गिलासों  में  खाना परोस दिया।  सारस ने गिलास में  अपनी चोंच डाल कर खाना शुरू कर दिया लेकिन लोमड़ी अपना मुहँ तंग मुहँ वाले गिलासों में  नहीं घुसा  पाई।  भोजन समाप्त होने पर वे लोग डाइनिंग टेबल से उठ गए।  लोमड़ी भूखी  रह गयी थी लेकिन उसने बिना कुछ कहे सारस परिवार से विदा ली ।  

वापिस  जाते समय वह सारे रास्ते सोचती रही कि अगर दूसरे जानवरों को इस बारे में पता चलेगा तो उसकी बेइज़्ज़ती हो जाएगी। लोमड़ी को एहसास हो गया कि सारस ने उसकी चालाकी पकड़ ली थी। 



अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस 


1 comment:

  1. मैं जहां तक इस लोक कथा को पढ़ कर समझा, इस कथा से ये सन्देश दिया गया, कि आप खुद को समझदार समझो, परन्तु दूसरे को बेवकूफ समझने का अधिकार किसी को नहीं है।

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