Sunday, August 9, 2020

हिन्दी साहित्यिक पत्रिकाओं का संसार

 कोई भी देश अपनी संस्कृति ,भाषा और साहित्य को ताक पर रख कर उन्नत्ति नहीं कर सकता।  हिंदी साहित्य को पल्लवित करने में हिन्दी साहित्यिक पत्रिकाओं का अभूतपूर्व योगदान रहा है। किसी भी साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन अत्यंत कष्टप्रद होता है क्योंकि साहित्यिक पत्रिकाओं को अक्सर व्यावसायिक    विज्ञापन नहीं मिलते और यही कारण है कि आर्थिक तंगी के चलते बहुत - सी साहित्यिक पत्रिकाएँ अपनी निरंतरता नहीं रख पाती। बावज़ूद इसके इनकी लोकप्रियता में कमी नहीं आती। साहित्यिक पत्रिकाएँ जहाँ एक तरफ़ साहित्य का प्रचार  - प्रसार करती हैं  वहीं नए लेखकों को एक मंच भी प्रदान करती हैं  , यूँ देखा जाये तो अपने समय का हर छोटा - बड़ा लेखक साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होना चाहता है।जब सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता 'सरस्वती ' पत्रिका में प्रकाशित नहीं हो पाई तो उन्होंने लिखा :

पर सम्पादकगण निरानंद 

वापस कर देता पढ़ सत्त्वर 

दे एक-पंक्ति- दो में  उत्तर

लौटी लेकर रचना उदास    


इन पत्रिकाओं के प्रकाशक अक्सर कोई लेखक या कवि ही होता है जो अपनी पत्रिका को अपने बच्चे की तरह पालता है। हिन्दी  की पहली साहित्यिक पत्रिका ' सरस्वती ' का प्रकाशन १९०० में श्री चिंतामणि घोष द्वारा किया गया । १९०३ से १९२० तक  आचार्य  महावीर प्रसाद द्विवेदी इसके संपादक रहे और सरस्वती पत्रिका ने बहुत से लेखकों व कवियों को स्थापित किया। साहित्यिक पत्रिकाओं के प्रकाशन का एक लम्बा इतिहास रहा है और इन पत्रिकाओं की एक लम्बी सूची भी है। देश के विभिन्न प्रांतों से प्रकाशित चंद साहित्यिक पत्रिकाओं की सूची देखे -

 दिल्ली ,  हरियाणा  और  नोएडा से प्रकाशितहंस , समग्र चेतना ,नया पथ , विषय वस्तु , आजकल , अलाव , साहित्य व्रत ,कथा संसार , उत्तरा, उदधि  मंथन, साहित्य व्रत , रस रंग, पंजाबी संस्कृति ,  कला और क़लम ,आलोचना , समकालीन भारतीय साहित्य ,इंद्रप्रस्थ भारती ,चक्रवाक, व्यंग्य,  ज्ञानोदय ,  नया ज्ञानोदय , अक्षरम संगोष्ठीआदि 

उत्तरप्रदेश  से प्रकाशित - दायित्व बोध , विमर्श , नयी कहानियाँ ,पृष्टभूमि चेतना स्रोत्र , अभिप्राय , संकल्प ,नए पुराने ,प्रसंगवश ,विश्वास , रचना संवाद , डाली के  कहार, अनुभूति ,निमित्त , कल की लिए , अक्षर पर्व , अंचल भारती ,दस्तावेज़ , विपक्ष ,उद्भावना ,आकांक्षा , निष्कर्ष ,परिवेश आदि

बिहार ,उत्तराखंड  झारखण्डऔर छत्तीसगढ़  प्रदेश  से प्रकाशितसमीक्षा ,सम्पदा ,इस बार ,संस्कृति , समीहा ,पाटिल प्रभा ,कतार ,प्रसंग , सार्थक ,बहुमत ,मुक्तिपर्व , वर्तिका , नया आलोचक ,शुद्धरत आम आदमी ,अमिधा , पंखुड़ियां,जलतरंग , संगत , कला , शिनाख़्त , राजसुमन, कारख़ाना   ,साम्य ,नागफ़नी , सम्प्रेषण , पुरुष , सापेक्ष , नई धरा आदि 

राजस्थान से प्रकाशित - चर्चा , वातायन , कविता , शेष ,सम्बोधन ,मधु माधवी , दिशा बोध ,अभिव्यक्ति ,अंतर्दृष्टि,मधुमती   आदि 

हिमाचलप्रदेश और बंगाल से प्रकाशित - आबागेश्वरी ,सरोकार , शब्द संसार,वागर्थ,समानता,क़लम  आदि  

महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से प्रकाशित ओम भारती , सामान्य जन  सन्देश ऋतुचंद , प्राची , आरम्भ ,आंकलन , बराबर ,  समानता , दस्तक , वसुधा , उत्तर संवाद ,कहन, बहुमत,हिन्दुस्तानी ज़बान  आदि 

दक्षिण भारत से प्रकाशित - विवरण पत्रिका , हिन्दी प्रचार समाचार ,मैसूर हिन्दी प्रचार परिषद् पत्रिका ,गोलकुंडा ,भारत संधान ,साहित्य साधक मंच आदि 


जो पत्रिकाएँ किसी संस्थान द्वारा प्रकाशित की जाती हैं उनकी निरंतरता तो बनी रहती है लेकिन जब कोई लेखक व्यक्तिगत रूप से किसी पत्रिका का प्रकाशन करता है तो उसकी निरंतरता बनाये रखना कठिन हो सकता है।  मैंने भी शायद १९७७ में अपने मित्र सुधीर कुशवाहा के  साथ मिलकर जोश जोश में " आकांक्षा ' नाम से मासिक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन किया लेकिन वो पहला अंक ही  आख़िरी अंक बन कर रह गया।  उसके मुखपृष्ठ पर दक्षिण भारत की किसी मंदिर के द्वार कोष्ठ पर बनी किसी अप्सरा की मूरत और उस को सम्प्रेषित करती कीर्तिशेष रामधारी सिंह दिनकर की यह पंक्तियाँ आज भी याद हैं  :


मर्त्य  मानव की विजय का तूर्य  हूँ मैं

उर्वशी!  अपने   समय का सूर्य हूँ मैं 

अंधतम के भाल पर पावक जलाता हूँ 

बादलों के सीस पर स्यंदन चलाता हूँ 

पर न जाने बात क्या हैं 

इंद्र का आयुध पुरुष जो झेल  सकता है

सिंह से बाँहें  मिला कर खेल सकता है  

फूल के आगे वही असहाय  हो जाता

शक्ति के रहता हुए निरुपाय हो जाता 


बिद्ध  हो जाता सहज बंकिम नयन के बाण से 

जीत     लेती   रूपसी   नारी उसे मुस्कान से  । 



NOTE : वरिष्ठ लेखक ,सम्पादक व साहित्यकार श्री हरे राम समीप को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद। 




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