अपने हंगेरियन प्रवास के दौरान कई हंगेरियन कवियों और लेखकों से मिलने का अवसर मिला। एक दिन मैं हंगेरियन पेन क्लब की वाईस प्रेजिडेंट Tóth Éva ऐवा तोथ से मिलने उनके दफ़्तर गया। बातों बातों में पता चला कि ऐवा तोथ एक कवियत्री भी है। मेरी हंगेरियन भाषा सुन कर वो काफी ख़ुश थी। उन दिनों मैं तर शांदोर की कहानी Mi késztet élni ' किस लिए जीते है हम ' का हिन्दी अनुवाद कर रहा था , जब मैंने उनसे तर शांदोर का ज़िक्र किया और उन्हें अनुवाद के बारे में बताया तो उन्होंने तत्काल Sándor Tar तर शांदोर को फ़ोन लगा दिया। मैंने अपना परिचय उन्हें दिया और उनसे उनकी कहानी के अनुवाद की अनुमति मांगी। तर शांदोर ने अगले ही हफ़्ते अपना कहानी संग्रह Lassú Teher (बोझिल बोझ ) मेरे पास भेज दिया और साथ में एक पत्र भी जिसमे उन्होंने मुझे यह अनुमति दी कि मैं उनके सम्पूर्ण साहित्य का अनुवाद कर सकता हूँ। बाद मैं मैंने उनकी कुछ कहानियाँ का हिन्दी अनुवाद किया। उन्होंने मुझे अपने घर आने के लिए भी आमंत्रित किया , लेकिन यह मेरा दुर्भाग्य ही रहा जो मैं उनसे कभी व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल सका। तर शांदोर के कई कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और उन्हें कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है।
जब २००५ मैं मुझे उनकी मृत्यु की सूचना मिली तो उनकी आवाज़ मेरे दिल में गूँज उठी और उनको समर्पित एक कविता रच डाली , प्रस्तुत है तर शांदोर को समर्पित कविता :
तर शांदोर के नाम
प्रिये मित्र !
काल के क्रूर हाथों ने
तुम्हे छीन लिया
और एक अफ़सानानिगार का
अफ़साना भी
एक बुलबुले में
सिमट कर रह गया
तुम्हारी कहानी
'किस लिए जीते हैं हम '
जितनी छोटी थी
उतनी ही बड़ी भी
ज़िंदगी से जुडी
तुम्हारी कहानियाँ
मैं अक्सर पढता रहा
तुम्हारे रचना संसार में
डूबता रहा ,उतरता रहा
ज़िंदगी के कितने
अबूझे रहस्य
तुम्हारी कहानियों में
यूँ बिखरे पड़े हैं
जैसे समुन्दर में मोती,
उदासी में डूबी
तुम्हारी कहानियाँ
ज़िंदगी के इतने क़रीब हैं
कि फूटने लगतें हैं मीठे नग़मे
और
'किस लिए जीते हैं हम '
कहानी की माँ
गाने लगती है एक गीत
- 'मुरझाएँ फूलों के गीत गा रही है ज़िंदगी '
आगे के बोल माँ को नहीं आते
शांदोर !आगे के बोल मुझे भी नहीं आते
शांदोर ! कब सुनाओगे तुम
गीत के आगे के बोल ?
जन्म - ५ अप्रैल ' १९४१
निधन - ३० जनवरी ' २००५
NOTE :
'किस लिए जीते हैं हम ' कहानी , (Dr. Köves Margit ) डॉ कौवेश मारगित द्वारा सम्पादित हंगेरियन कहानियों के हिन्दी अनुवाद की पुस्तक " अभिनेता की मृत्यु " में संकलित हैं।
अधिक जानकारी के लिए उनका विकी पेज देखें - https://hu.wikipedia.org/wiki/Tar
नये शब्द शायद इसी तरह गढ़े जाते हैं। अफसानानिगार से अफसाना लिया और कहानीकार से कार।
ReplyDeleteकुल मिलाकर अच्छी लेकिन दुखांत सी जानकारी।
मुझे भी अटपटा लगा था ,अब आपको भी लग रहा है। नये लफ्ज़ अफ़सानाकार को अफ़सानानिगार ही बना देता हूँ , आख़िर अफ़सानों में ऐसा भी तो होता है।
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