Wednesday, March 19, 2025

शहर और जंगल - मुँह ढँक कर सोइए

मुँह ढँक कर सोइए 


रोइए

गाली दीजिए 

अपने देश को 

अपने समाज को 

सड़क पर मरते लोगों  को 

मासूम अधनंगे बच्चों को 

जलसों को , दंगों को 

बलवो को 

अमीर को , ग़रीब को 

मालिक को , मज़दूर को 

सबको जी भर कर कोसिए 

फिर मुँह ढँक कर सोइए 

कोई आपको 

जगाने नहीं आएगा ...

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