मुँह ढँक कर सोइए
रोइए
गाली दीजिए
अपने देश को
अपने समाज को
सड़क पर मरते लोगों को
मासूम अधनंगे बच्चों को
जलसों को , दंगों को
बलवो को
अमीर को , ग़रीब को
मालिक को , मज़दूर को
सबको जी भर कर कोसिए
फिर मुँह ढँक कर सोइए
कोई आपको
जगाने नहीं आएगा ...
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