ख़बर
टीवी पर समाचार चैनल को देखते ही महाकुम्भ में मची भगदड़ ज़ेहन में ताज़ा हो गयी। अचानक भीड़ का एक रेला भगदड़ में तब्दील हो गया था । हर आदमी सिर्फ अपनी जान बचाने को भागा और इस भागमभाग में ही कितने ही पुरुष , महिला और बच्चों की जान चली गयी। लगभग आधे घंटे बाद तूफ़ान शांत हुआ , पुलिस और प्रशासन की गाड़ियों के sirens से वातावरण गूँज उठा। लाशों को वहाँ से हटाने का काम ज़ोर शोर से शुरू हो गया। इसी बीच कुछ मीडिया पत्रकार वहाँ अपना कैमरा घूमने लगे । उच्च प्रशासनिक अधिकारी ने इंस्पेक्टर को तत्काल उन पत्रकारों को वहाँ से हटाने का आदेश दिया । इंस्पेक्टर हड़बड़ाहट में बोला ," सर , पहले लाशों को यहाँ से हटा देते है उसके बाद पत्रकारों को भी हड़काते हैं। अधिकारी ने कड़े स्वर में इंस्पेक्टर से कहा , " जैसे मैं कहता हूँ वैसे करो , बेवकूफ मुर्दों से पहले ख़बरों को दफ़नाना ज़रूरी होता है । "
इंस्पेक्टर ने अधिकारी को ज़ोर से सैलूट मारा और लगा हड़काने पत्रकारों को।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
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