मेरा घर
यह मेरा घर है
मैं अपने ही घर में
एक अजनबी की तरह घुसता हूँ
घर की दीवारें मुझे घूरती रहती हैं
मुझ से मेरा परिचय पूछती रहती हैं
यह मेरे घर का ड्राइंगरूम है
फ्रिज , टेलीविज़न , सोफे , दीवान
ड्राइंगरूम की शान
उधर खिड़कियों में रखें फूलदान
और फूलदानों मैं रखे फूलों का रंग
दीवारों के रंग से
बिलकुल मेल नहीं खाता
मेरी बीवी को यह बात बहुत खटकती है
वह इस बात को लेकर
अक्सर अपना सर पटकती है
सोफ़े के सामने वाली दीवार पर
हर वर्ष कैलेंडर बदलता है ज़रूर
पर फिर भी हम दोनों ही
एक दुसरे का जन्मदिन जाते हैं भूल
मुरझा कर रह जाते हैं कुछ फूल
मैं आज तक समझ नहीं पाया
क्या अर्थ है , बाज़ार से
इक शीशे का ताजमहल ख़रीद कर
शो केस मैं सजा भर देने का
इक छलावे को भुला भर देने का
यह मेरे घर का बेडरूम है
जहाँ मुझे हर रात एक यातना सहनी पड़ती है
जहाँ हर रात एक युद्ध जन्म लेता है
मेरे और मेरी बीवी के दरमियां
कोई बहुत बड़ी दीवार नहीं
सिर्फ होता है एक उदास तकिया
बेडरूम की दीवारों पर खजुराहो उतर आता है
एक कसा हुआ बंधन याद मुझे आता है
मेरी निढाल उँगलियाँ
थपथपा भर देती है तकिया ,
यह मेरे घर का स्टडीरूम है
जहाँ कालिदास का मेघदूत
विद्यापति के प्रेम गीत
और अन्य बहुत से प्रेम ग्रन्थ
जो कभी
मैंने अपनी बीवी को उपहार में दिए थे
आज नहीं है
और अब उनकी ज़रूरत भी महसूस नहीं होती।
यही जानकर एक उदास शाम
जब मेरी बीवी घर पर ही थी
मैंने सब प्रेम ग्रन्थ
कर दिए थे धुएं के नाम
पर अफ़सोस
उस हादिसे के बाद भी
यह घर सलामत है
और यह मेरे घर का ड्रेसिंग रूम है
जहाँ मेरी बीवी
अपना रूप बदलती है
और हर बार
बनती है एक नई शक़्ल
काम नहीं करती कुछ अक़्ल
याद नाह पड़ता मुझको
अपनी उस बीवी का वो चेहरा
जो कभी मुझे याद था
दिल जिस पे मेरा शाद था
इन बंद कमरों में
भारी इस्पात की बनी
छत के नीचे
कमजोर मन टूटने लगा है
मैं अपने घर में
रहता हूँ ज़रूर
पर बेघर हूँ।
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