Thursday, March 27, 2025

शहर और जंगल - नए फूल

 नए फूल 


बग़िया में नए फूल खिले हैं 

फिर दस्तानों में ढँकी 

कुछ उँगलियाँ 

तोड़ लेंगी इन्हें 

फिर कैक्टस हँसेगा 

अपनी क़िस्मत पर 

नहीं...नहीं ...रहने दो !

कैक्टस ही उगने दो 

पड़ने दो पानी 

कुछ लोगो की मेहनत पर। 

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