नए फूल
बग़िया में नए फूल खिले हैं
फिर दस्तानों में ढँकी
कुछ उँगलियाँ
तोड़ लेंगी इन्हें
फिर कैक्टस हँसेगा
अपनी क़िस्मत पर
नहीं...नहीं ...रहने दो !
कैक्टस ही उगने दो
पड़ने दो पानी
कुछ लोगो की मेहनत पर।
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