Saturday, August 31, 2024

फ़्लैश बैक - गज़क

 गज़क


चौरासी घंटे मंदिर से 

तीन दुकानें छोड़  

थी गज़क वाले कि दुकान

जो ख़ुद बनाता था गज़क 

सोने और चाँदी वाली गज़क 

यानी 

गुड़ और चीनी कि गज़क 

एक बार फ़राशख़ाने में देखा 

गज़क बनते हुए 

लकड़ी के एक खम्बे पर 

गज़क कि लोई को पीटा जाता 

ज़ोर ज़ोर से 

बस तभी से 

गज़क खाने का शौक़ 

जाता रहा मन से। 


कवि - इन्दुकांत आंगिरस    

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