Tuesday, August 6, 2024

Mátyás király és a szegény tanító - राजा मात्याश और ग़रीब शिक्षक

 एक बार राजा मात्याश  एक गाँव में पहुंचा । उसने पूछा कि वह रात को कहाँ रुक सकता है। गाँव वालो ने उसे इधर से उधर भेजा ,गाँव वालों को उस ग़रीब  घुमक्कड़ में कुछ विशेष उपयोगी नज़र नहीं आया। सराय के  मालिक ने उससे कहा : - " शिक्षक के पास जाओ, वह निश्चित रूप से तुम्हें स्थान  देगा। मात्याश शिक्षक के पास गया और शिक्षक ने वास्तव में उसे अपने घर पर आमंत्रित किया। शिक्षक  बहुत ग़रीब  आदमी था, लेकिन उसने फिर भी यात्री को स्वादिष्ट भोजन दिया। उन्होंने दुनियादारी गपशप करी  और फिर आराम करने चले गए।  . अगली सुबह मात्याश अच्छी सलाह के लिए सराय के मालिक का शुक्रिया अदा करने  के लिए पब में वापस गया। लेकिन , वहाँ मात्याश  क्या देखते हैं? शिक्षक की जैकेट रैक पर लटकी हुई थी। - " यह जैकेट यहाँ कैसे आई ?  - मात्याश ने पूछा, - "मैंने इसे शाम को शिक्षक के यहाँ देखा था? " - हाँ, यह जैकेट उसी की है । उसने इसे पैसे  के एवज़ में यहां  छोड़ दिया, उसी पैसे से अतिथि का मनोरंजन किया  -    मालिक ने समझाया   . मात्याश शिक्षक की दयालुता से बहुत प्रभावित हुआ। उसने उसे बढ़िया  इनाम देने का फैसला किया।मात्याश वापिस बुदा  में अपने  घर लौट गया और एक दिन उसने  शिक्षक को बुलवाया ।बेचारा शिक्षक यह समझ नहीं पा रहा था  कि उसने कौन सी गलती की होगी जो उसे सीधे राजा के पास बुलाया गया है। मात्याश  ने शिक्षक के  सम्मान में एक शानदार दावत का आयोजन किया ।  विदाई के वक़्त  मात्याश ने उसे  उपहार भी दिए । उसने उसे अपना वस्त्र दिए , जिसकी जेबों में उसने खूब पैसे भरे। अन्य दरबारियों  ने भी ऐसा ही किया। शिक्षक को छह घोड़ों वाली गाड़ी में उनके गांव तक घर ले जाया गया। इस प्रकार राजा मात्याश ने उसके दयालु आतिथ्य के लिए उसे पुरस्कृत किया। 



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