Friday, August 2, 2024

Mátyás király és a beteg kisbéres - राजा मात्याश और बीमार दिहाड़ीदार

 राजा मात्याश और बीमार दिहाड़ीदार


राजा मात्याश अपने  छात्र जीवन से ही  देश का बहुत दौरा किया करते थे और लोगों के जीवन को समझते थे । ऐसे ही एक अवसर परघुमते हुए उन्होंने  एक धनी किसान को अकेले हल जोतते देखा। राजा मात्याश उससे  ने पूछा: - उस्ताद  , क्या कारण है कि आप अकेले हल जोट रहे हैं ? आपके पास कोई मददगार  नहीं है? - पूछो ही मत, शिष्य जी! यदि मेरा दिहाड़ी मज़दूर  इतना बीमार न होता तो मैं अकेले हल नहीं जोतता। बेचारा  तीसरे दिन भी ठण्ड के मारे  बच्चे की तरह काँप रहा है। क्या आप उसके  बदले मेरी मदद करेंगें ? मैं अच्छी दिहाड़ी  दूंगा।   मात्याश ने इसके बारे में अधिक नहीं सोचा और दिहाड़ी मज़दूर की जगह  काम करना शुरू कर दिया। उसने शाम तक किसान की मदद की। उन्होंने भोजन किया और  अमीर किसान ने उसकी  मज़दूरी चुकाई। तब  मात्याश ने वो  पैसे बीमार दिहाड़ी मजदूर को दे दिये। - इसे रहने दो , तुम्हें इसकी मुझसे ज़्यादा ज़रूरत है। बीमार मज़दूर  ने छात्र को उसकी दयालुता के लिए धन्यवाद दिया।

राजा मात्याश ने कमरे की दीवार पर पत्थर से  लिखा: "मैं हुन्याद का बच्चा हूं, मेरे लिए तलवार वही होगी जो तुम्हारे लिए हल है।" यह लिख कर वह रात को चुपचाप निकल गया। 


No comments:

Post a Comment