गंगू तेली
रामबाबू चाट वाले के बग़ल में ही थी
गंगू तेली की दुकान
बाज़ार सीताराम में
किसी तिल्सिम-सी लगती मुझे
उसकी दुकान पर रखी
रंग - बिरंगें तेलों की बोतलें
जिनसे उठती थी मिली - जुली सुगंध
क़िस्म - क़िस्म के तेल
परिचित नहीं था उस समय
उन रंग - बिरंगे तेल के नामों से
तिल, मूंगफली
अरंडी , अलसी का तेल
सूरजमुखी , चमेली ,
जैतून , तुलसी , चन्दन का तेल
चमेली , गुलाब , बादाम का तेल
और भी कितने ही क़िस्मों के तेल
आज भी लगाता हूँ जब कभी कोई तेल
तो याद आ जाती है
गंगू तेली की दुकान।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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