राजा मात्याश और जेलर
एक बार वे एक ग़रीब किसान को जेल में डालना चाहते थे। तभी राजा मात्याश भेष बदलकर घूम रहे थे । उन्हें ग़रीब किसान के रोते हुए बच्चों, उसकी बीमार बीवी पर दया आ गयी और उसके स्थान पर वह ख़ुद जेल चले गए । थोड़ी देर बाद मात्याश को प्यास लगी और उन्होंने जेलर से पानी मांगा । जेलर एक मतलबी आदमी था, उसने हंसते हुए जवाब दिया:- मैं तुम्हें पानी क्यों दूं? तुम एक दुखी भिखारी हो, मुझे तुमसे कुछ नहीं मिलेगा । हाँ , अगर तुम अमीर होते और मेरी सेवाओं के लिए मुझे एक या दो स्वर्ण मुद्राएं देते, तो मैं इसके बारे में एक मिनट भी नहीं सोचता।मात्याश ने न्यायाधीशों को अपनी पहचान बताई। जब वह मुक्त हुआ, तो उसने जेलर को अमीर और ग़रीब के बीच इस तरह से अंतर करना सिखाया कि वह अपने जीवन में कभी न भूल पाए ।
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