आज का होम वर्क
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पहले आपको बताया था हर्फे रबी के बारे में। हर्फे रबी मूल शब्द का अंतिम अक्षर होता है जैसे
कबन्द मे द हर्फे रबी है
राज़ में ज़ हर्फे रबी है
किवाड़ में ड़ हर्फे रबी है
किताब में ब
जुस्तजू मे ऊ की मात्रा
गली में ई की मात्रा
वफ़ा में आ की मात्रा
जिज्ञासा में आ की मात्रा
मुड़कर में ड़ क्योंकि मूल शब्द मुड़ है और इसमें कर जोड़कर नया शब्द बना है इसलिए मुड़ का अंतिम अक्षर ड़ लिया गया है
इसी प्रकार
देखकर में ख हर्फे रबी है
समझते में झ हर्फे रबी क्योंकि मूल शब्द समझ है।
करते में र है क्योंकि मूल शब्द कर है और इसका अंतिम अक्षर र है
इसी प्रकार
बदलने में ल है
अब काफिया बाँधते समय हर्फे रबी का मिलान जरूरी है
एक शेर देखें
उन्हीं को पीर पयम्बर सभी समझते रहे
धरम के नाम पर जो तीन पाँच करते रहे
यह शेर बहर में है थाट भी अच्छा है। अब आप कहेंगे शेर में कोई कमी नहीं है।
लेकिन इस शेर का काफिया गलत है
इसमें रदीफ है ' रहे' काफिया है
समझते और.करते
यहां समझ में हर्फे रबी झ है
और करते में हर्फे रबी र है
दोनों काफिये के हर्फे रबी झ और र में कोई मेल नहीं है इसलिए हर्फे रबी का मिलान न होने के कारण काफिया गलत है।
करते के साथ डरते, मरते, चरते , भरते आदि आये तो सही है
इसी प्रकार समझते के साथ उलझते काफिया सही होगा।
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